आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ तेज़ी से बढ़ रही हैं। इनमें से एक गंभीर समस्या है ब्रेन स्ट्रोक, जिसे लोग अक्सर “फालिज़” या “लकवा” के नाम से भी जानते हैं। यह ऐसी स्थिति है, जिसमें मस्तिष्क (ब्रेन) के किसी हिस्से में रक्त की आपूर्ति रुक जाती है या अचानक फट जाती है। परिणामस्वरूप, मस्तिष्क की कोशिकाएँ (न्यूरॉन्स) पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषण न मिलने के कारण मरने लगती हैं।
ब्रेन स्ट्रोक सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं है, बल्कि आजकल गलत जीवनशैली, तनाव, अनियमित खान-पान और अन्य कारणों से यह युवाओं में भी देखने को मिल रहा है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि ब्रेन स्ट्रोक क्या है, इसके कारण क्या होते हैं, लक्षण कैसे पहचानें और इसके इलाज और बचाव के क्या तरीके हैं।
ब्रेन स्ट्रोक क्या है?
जब हमारे शरीर के किसी भी हिस्से में खून नहीं पहुँचता तो उस हिस्से की कोशिकाएँ धीरे-धीरे नष्ट होने लगती हैं। उसी तरह यदि ब्रेन की धमनियों में रुकावट (ब्लॉकेज) हो जाए या रक्त वाहिका फट जाए, तो मस्तिष्क तक रक्त का संचार नहीं हो पाता। यही स्थिति ब्रेन स्ट्रोक कहलाती है।
इसे दो मुख्य प्रकारों में बाँटा गया है:
- इस्कीमिक स्ट्रोक (Ischemic Stroke)
- यह सबसे आम प्रकार है।
- इसमें खून ले जाने वाली नस (धमनी) में थक्का (Blood Clot) बन जाता है या चर्बी (Plaque) जम जाती है।
- नतीजतन, रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है और दिमाग की कोशिकाएँ मरने लगती हैं।
- हेमरेजिक स्ट्रोक (Hemorrhagic Stroke)
- इसमें ब्रेन की किसी धमनी या नस की दीवार फट जाती है और खून बहने लगता है।
- इससे आसपास की कोशिकाओं पर दबाव पड़ता है और दिमाग का सामान्य कार्य प्रभावित होता है।
- उच्च रक्तचाप और नसों की कमजोरी इसकी बड़ी वजह है।
कुछ लोगों को मिनी स्ट्रोक (Transient Ischemic Attack – TIA) भी होता है, जिसमें रक्त आपूर्ति थोड़े समय के लिए रुकती है और लक्षण कुछ घंटों में ठीक हो जाते हैं। लेकिन इसे कभी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए क्योंकि यह भविष्य में बड़े स्ट्रोक का संकेत हो सकता है।
ब्रेन स्ट्रोक के कारण
ब्रेन स्ट्रोक अचानक नहीं होता। यह लंबे समय से चली आ रही जीवनशैली, बीमारियों और अनुवांशिक कारणों का नतीजा हो सकता है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure – Hypertension)
- स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण।
- लगातार बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर नसों पर दबाव डालता है और उनके फटने या ब्लॉकेज का खतरा बढ़ाता है।
- मधुमेह (Diabetes)
- डायबिटीज़ मरीजों में रक्त वाहिकाओं की दीवारें जल्दी कमजोर हो जाती हैं।
- इससे थक्का बनने और स्ट्रोक होने की संभावना बढ़ जाती है।
- कोलेस्ट्रॉल और मोटापा
- शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) जमा होने से नसों में प्लाक जम जाता है।
- रक्त प्रवाह बाधित होने पर स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
- धूम्रपान और शराब का सेवन
- धूम्रपान खून को गाढ़ा करता है और नसों की लचीलापन कम करता है।
- अत्यधिक शराब पीने से रक्तचाप और स्ट्रोक दोनों का खतरा बढ़ता है।
- हृदय रोग (Heart Disease)
- जिन लोगों को दिल की धड़कन अनियमित (Atrial Fibrillation) होती है, उनमें खून का थक्का बनने का खतरा अधिक होता है।
- तनाव और निष्क्रिय जीवनशैली
- मानसिक तनाव, नींद की कमी और व्यायाम न करने से भी नसों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- अनुवांशिक कारण
- यदि परिवार में किसी को पहले स्ट्रोक हुआ है, तो खतरा बढ़ जाता है।
ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण
स्ट्रोक के लक्षण अचानक और तेज़ी से दिखाई देते हैं। इसे जल्दी पहचानना बेहद ज़रूरी है क्योंकि इलाज जितनी जल्दी शुरू होगा, मरीज़ के ठीक होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी।
कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं:
- चेहरे, हाथ या पैर में अचानक कमजोरी या सुन्नपन
- खासकर शरीर के एक तरफ।
- देखने में समस्या
- अचानक धुंधला दिखाई देना या एक आँख से दिखाई न देना।
- बोलने में परेशानी
- अस्पष्ट आवाज़, हकलाना या शब्द सही से न निकलना।
- चलने-फिरने में कठिनाई
- संतुलन बिगड़ना, चक्कर आना या अचानक गिर जाना।
- तेज़ सिरदर्द
- बिना किसी कारण अचानक तेज दर्द होना, खासकर हेमरेजिक स्ट्रोक में।
- होश खोना या बेहोशी
- गंभीर स्थिति में रोगी कोमा तक में जा सकता है।
लक्षण पहचानने के लिए एक आसान तरीका है FAST टेस्ट:
- F (Face): रोगी को मुस्कुराने को कहें, चेहरा टेढ़ा हो सकता है।
- A (Arms): दोनों हाथ उठाने को कहें, एक हाथ नीचे गिर सकता है।
- S (Speech): रोगी से कुछ बोलने को कहें, आवाज़ अस्पष्ट हो सकती है।
- T (Time): तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ, समय बर्बाद न करें।
ब्रेन स्ट्रोक का इलाज
ब्रेन स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है। जैसे ही लक्षण दिखें, तुरंत मरीज को नज़दीकी अस्पताल ले जाएँ। देर होने पर मस्तिष्क की कोशिकाएँ स्थायी रूप से नष्ट हो जाती हैं।
1. आपातकालीन इलाज
- इस्कीमिक स्ट्रोक में
- डॉक्टर खून का थक्का घोलने वाली दवा (Thrombolytics) देते हैं।
- यह दवा यदि 3 से 4.5 घंटे के भीतर दे दी जाए तो मरीज़ को काफी लाभ होता है।
- कुछ मामलों में मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टॉमी नामक प्रक्रिया से थक्का निकाला जाता है।
- हेमरेजिक स्ट्रोक में
- खून बहना रोकने और दबाव कम करने के लिए दवाइयाँ दी जाती हैं।
- जरूरत पड़ने पर सर्जरी करके रक्त वाहिका को ठीक किया जाता है।
2. पुनर्वास (Rehabilitation)
स्ट्रोक से उबरने के लिए लंबे समय तक इलाज और देखभाल की आवश्यकता होती है।
- फिजियोथेरेपी: हाथ-पैर की ताकत और चलने-फिरने की क्षमता लौटाने के लिए।
- स्पीच थेरेपी: बोलने और समझने की क्षमता सुधारने के लिए।
- ऑक्यूपेशनल थेरेपी: रोज़मर्रा के काम करने में मदद के लिए।
- काउंसलिंग: मानसिक तनाव और अवसाद से निपटने के लिए।
ब्रेन स्ट्रोक से बचाव
“इलाज से बेहतर बचाव है।” स्ट्रोक से बचने के लिए कुछ आदतें अपनानी चाहिए:
- नियमित चेकअप करवाएँ – ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की जाँच समय-समय पर कराते रहें।
- स्वस्थ आहार लें – फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज और कम तेल वाला भोजन करें।
- धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएँ।
- नियमित व्यायाम करें – रोज़ाना कम से कम 30 मिनट वॉक या योग करें।
- तनाव कम करें – ध्यान, प्राणायाम और पर्याप्त नींद लें।
- वज़न नियंत्रित रखें।
- दवाइयाँ नियमित लें – यदि डॉक्टर ने ब्लड प्रेशर या शुगर की दवा दी है तो उसे बिना चूके लें।
ब्रेन स्ट्रोक एक गंभीर लेकिन रोकी जा सकने वाली समस्या है। समय पर पहचान और सही इलाज से मरीज की जान बचाई जा सकती है और जीवन को सामान्य बनाया जा सकता है। जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव, जैसे सही खान-पान, व्यायाम और तनाव प्रबंधन से स्ट्रोक के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। यदि आपको या आपके आसपास किसी को इन लक्षणों में से कोई भी दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। स्वयं इलाज करने की कोशिश न करें।
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