मैदा का नाम सुनते ही हमें समोसे, कचौरी, पिज्जा, बर्गर, मोमोज और नान जैसी कई चीज़ें याद आ जाती हैं। इनका स्वाद जितना लाजवाब होता है, उतना ही यह हमारी सेहत के लिए हानिकारक भी हो सकता है। मैदा देखने में तो बहुत सफेद और मुलायम होता है, लेकिन इसमें हमारे शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व जैसे फाइबर, विटामिन और मिनरल्स लगभग खत्म हो जाते हैं। यही कारण है कि इसे ज्यादा खाने से कई तरह की बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।
आजकल की लाइफस्टाइल में मैदा हर घर में किसी न किसी रूप में इस्तेमाल हो ही जाता है। नाश्ते में पराठे, ब्रेड, बिस्कुट, या फिर शाम को स्नैक्स के रूप में समोसे, पिज्जा और मोमोज – ये सब ज्यादा आकर्षक लगते हैं, लेकिन लंबे समय में यह शरीर के लिए नुकसानदायक साबित होते हैं। आइए जानते हैं, ज्यादा मैदा खाने से शरीर को क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं।
मैदा कैसे बनता है?
मैदा गेहूं से तैयार किया जाता है। गेहूं को बारीक पीसकर, उसकी बाहरी परत यानी चोकर (bran) और जर्म (germ) को अलग कर दिया जाता है। इसी परत में सबसे ज्यादा फाइबर, विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं। इन्हें हटाने के बाद जो हिस्सा बचता है, वही मैदा कहलाता है। इसमें केवल स्टार्च बचता है, जो शरीर को कैलोरी तो देता है लेकिन पोषण नहीं देता।
मैदा खाने के बड़े नुकसान
1. पाचन समस्याएं
मैदा में फाइबर लगभग नहीं के बराबर होता है। यही कारण है कि यह पचने में काफी समय लेता है। लगातार मैदा खाने से कब्ज, गैस, अपच और एसिडिटी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। यह आंतों के लिए भी हानिकारक है और पाचन तंत्र की गति को धीमा कर देता है।
2. पोषक तत्वों की कमी
मैदा बनाने के दौरान गेहूं की बाहरी परत निकाल दी जाती है, जिसमें जरूरी विटामिन, मिनरल्स और फाइबर मौजूद होते हैं। ऐसे में मैदा से बने खाने में पोषक तत्व लगभग नहीं रहते। ज्यादा मैदा खाने से शरीर में पोषण की कमी हो सकती है और इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ सकता है।
3. कोलेस्ट्रॉल और मोटापा
मैदा में स्टार्च की मात्रा अधिक होती है। यह स्टार्च शरीर में जाकर जल्दी ग्लूकोज में बदल जाता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल अचानक बढ़ सकता है। साथ ही, मैदा से बने भोजन का ज्यादा सेवन करने से शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) बढ़ता है। यही खराब कोलेस्ट्रॉल हार्ट डिजीज और मोटापे का बड़ा कारण बनता है।
4. हड्डियों की कमजोरी
मैदा प्रोटीन और कैल्शियम का अच्छा स्रोत नहीं है। बल्कि, यह शरीर पर एसिडिक प्रभाव डालता है। जब शरीर एसिडिक होता है तो हड्डियों से कैल्शियम खिंचने लगता है। यही वजह है कि ज्यादा मैदा खाने से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं और समय से पहले ही जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है।
5. ब्लड शुगर लेवल का बढ़ना
मैदा का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) बहुत अधिक होता है। इसका मतलब है कि यह शरीर में जाकर शुगर लेवल को तेजी से बढ़ा देता है। ऐसे में लगातार मैदा खाने से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। जिन लोगों को पहले से शुगर है, उन्हें मैदा से बनी चीज़ों से दूर रहना चाहिए।
क्यों खतरनाक है मैदा से बनी चीज़ें?
मैदा से बने स्नैक्स खाने में भले ही टेस्टी लगते हैं, लेकिन ये शरीर को कोई पोषण नहीं देते। ऊपर से इनमें मसाले, तेल और तली हुई चीज़ें जुड़ने पर ये और भी नुकसानदायक हो जाते हैं। नाश्ते में रोज ब्रेड, बिस्कुट या समोसा खाना शरीर के लिए धीरे-धीरे जहर का काम कर सकता है।
क्या है मैदा के स्वस्थ विकल्प?
अगर आप सच में सेहत का ख्याल रखना चाहते हैं, तो मैदा की जगह पूरे गेहूं का आटा (Whole Wheat Flour) या मल्टीग्रेन आटा इस्तेमाल करें। इसके अलावा, बेसन, ज्वार, बाजरा और रागी का आटा भी सेहत के लिए अच्छा होता है। इन आटे में फाइबर, विटामिन और मिनरल्स भरपूर होते हैं, जो शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ पोषण भी प्रदान करते हैं।
सारांश
मैदा का स्वाद भले ही लाजवाब लगे, लेकिन यह शरीर के लिए धीरे-धीरे नुकसानदायक साबित हो सकता है। पाचन समस्याएं, हड्डियों की कमजोरी, मोटापा, हार्ट डिजीज और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों की जड़ मैदा बन सकता है। इसलिए, हमें मैदा से बनी चीज़ों का सेवन जितना हो सके उतना कम करना चाहिए।
स्वस्थ जीवन जीने के लिए संतुलित आहार अपनाना जरूरी है। गेहूं, ज्वार, बाजरा, रागी और दलिया जैसे विकल्पों को अपनी डाइट में शामिल करें और खुद को फिट और एनर्जेटिक बनाए रखें।