अयोध्या, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्मभूमि, वह पवित्र नगरी है जहाँ हर क्षण भक्ति, आस्था और सनातन संस्कृति की झलक मिलती है। इस पावन धरा पर 12 सितंबर 2025 का दिन ऐतिहासिक बन गया। इस दिन मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीन चंद्र राम गुलाम अपने परिवार और अपनी कैबिनेट के साथ अयोध्या पहुंचे। उनका यह आगमन केवल एक राजनयिक दौरा नहीं था, बल्कि यह भारत और मॉरीशस के बीच गहरे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों का सजीव प्रतीक भी बन गया।
एयरपोर्ट पर हुआ भव्य स्वागत
जैसे ही प्रधानमंत्री डॉ. राम गुलाम का विमान महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा, वैसे ही पूरे परिसर में एक पारंपरिक और उत्सव जैसा माहौल बन गया। वाद्य यंत्रों की मधुर धुन गूंजी, लोक कलाकारों ने नृत्य और संगीत के माध्यम से अतिथियों का अभिनंदन किया। हर तरफ पुष्पवर्षा, शंखध्वनि और पारंपरिक वस्त्रधारी स्वागतकर्ताओं ने इस क्षण को अविस्मरणीय बना दिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं एयरपोर्ट पर मौजूद थे और उन्होंने गरमजोशी से प्रधानमंत्री डॉ. राम गुलाम और उनके परिवार का स्वागत किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री सूर्य प्रताप शाही भी उपस्थित रहे। पूरा एयरपोर्ट परिसर उस समय केवल और केवल एक आध्यात्मिक उत्सव स्थल में बदल गया था।
रामलला के दरबार में विशेष पूजा
एयरपोर्ट से निकलने के बाद प्रधानमंत्री का काफिला सीधे राम जन्मभूमि परिसर पहुँचा। यहाँ सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए थे, लेकिन श्रद्धा और उत्साह का वातावरण सबके मन को भा रहा था।
रामलला के दरबार में पहुँचकर प्रधानमंत्री डॉ. राम गुलाम और उनकी पत्नी ने पूरे परिवार के साथ विशेष पूजा-अर्चना की। उन्होंने रामलला की आरती उतारी और अपने परिवार की मंगलकामना के साथ-साथ भारत और मॉरीशस के बीच दोस्ती और सहयोग की प्रगाढ़ता के लिए भी प्रार्थना की।
करीब 45 मिनट तक प्रधानमंत्री राम गुलाम भक्ति में डूबे रहे। उन्होंने मंदिर परिसर के विभिन्न हिस्सों का अवलोकन किया और मंदिर की भव्यता और अद्भुत स्थापत्य की सराहना की। इस दौरान राम मंदिर के पुजारियों ने उन्हें स्मृति चिह्न भेंट किया और वैदिक मंत्रोच्चार से पूरा वातावरण गूंज उठा।
योगी आदित्यनाथ का साथ और मार्गदर्शन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री को राम मंदिर की आध्यात्मिक यात्रा और इसके ऐतिहासिक महत्व के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने समझाया कि यह मंदिर केवल आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि यह भारत की सनातन संस्कृति और विश्व बंधुत्व का प्रतीक भी है।
योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर यह भी कहा कि अयोध्या की धरती पर आने वाला हर अतिथि केवल आगंतुक नहीं, बल्कि रामकथा की शाश्वत परंपरा का हिस्सा बन जाता है।
सांस्कृतिक रिश्तों की गहराई
मॉरीशस का भारत से रिश्ता केवल राजनीतिक या राजनयिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से भी बेहद गहरा है। मॉरीशस में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं, और वहाँ रामायण परंपरा समाज के केंद्र में है। रामायण का पाठ, रामलीला का आयोजन और भगवान श्रीराम के प्रति आस्था आज भी वहाँ की संस्कृति में रची-बसी है।
प्रधानमंत्री डॉ. राम गुलाम का यह दौरा इस साझा सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत प्रमाण बना। अयोध्या और काशी जैसे पवित्र स्थलों का भ्रमण यह संदेश देता है कि चाहे भौगोलिक दूरी कितनी भी हो, भारतीय संस्कृति की जड़ें हर जगह एक जैसी हैं।
दोनों देशों के बीच रिश्तों का नया अध्याय
इस यात्रा को केवल आध्यात्मिक यात्रा कहना उचित नहीं होगा। वास्तव में, यह भारत और मॉरीशस के बीच गहरे सांस्कृतिक और भावनात्मक रिश्तों को और मजबूत करने वाली घटना है। प्रधानमंत्री राम गुलाम ने अपनी प्रार्थना में यह भी कहा कि वे चाहते हैं कि भारत और मॉरीशस के बीच सहयोग और मित्रता और प्रगाढ़ हो।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी विदाई के समय इस बात पर जोर दिया कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच न केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान होगा, बल्कि शिक्षा, पर्यटन और धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में भी बड़े स्तर पर सहयोग बढ़ेगा।
विश्व आस्था का केंद्र: अयोध्या
अयोध्या केवल भारत की आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि यह पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा स्थल है। यहाँ आने वाला हर श्रद्धालु, चाहे वह भारत से हो या किसी अन्य देश से, भगवान श्रीराम की मर्यादा और आदर्शों से प्रभावित होता है।
मॉरीशस के प्रधानमंत्री का आगमन इस बात को और अधिक प्रमाणित करता है कि अयोध्या आज विश्व आस्था का केंद्र बन चुकी है। रामलला के दरबार से निकली यह आध्यात्मिक ऊर्जा न केवल भारत और मॉरीशस बल्कि पूरे विश्व के लोगों को एकता, शांति और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
विदाई का क्षण
रामलला के दर्शन और पूजा-अर्चना के बाद प्रधानमंत्री डॉ. राम गुलाम पुनः महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए रवाना हुए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं एयरपोर्ट तक पहुंचकर उन्हें विदाई दी। विदाई के समय दोनों नेताओं ने आपसी सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों और साझा विरासत को और अधिक मजबूत करने की बात दोहराई।
अयोध्या की इस यात्रा ने एक बार फिर ये साबित कर दिया कि भारत की संस्कृति और परंपराएँ केवल भारत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि विश्व के हर कोने में इसकी छाप है। मॉरीशस जैसे छोटे से द्वीपीय देश में भी रामायण और भगवान श्रीराम की गहरी उपस्थिति यही बताती है कि भारतीय संस्कृति कितनी व्यापक और गहरी है।
मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीन चंद्र राम गुलाम का यह दौरा भारत-मॉरीशस संबंधों के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत है। अयोध्या की धरती से उठी यह आध्यात्मिक तरंग दोनों देशों को न केवल सांस्कृतिक रूप से बल्कि मानवीय दृष्टि से भी और अधिक जोड़ने का काम करेगी।
ये यात्रा केवल एक नेता का आगमन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की वैश्विक शक्ति और उसकी अमरता का प्रमाण है।

