मानव शरीर एक अद्भुत संरचना है जिसमें हर अंग का अपना अलग महत्व है। इन्हीं अंगों में से एक है लिवर (यकृत)। इसे शरीर का सबसे बड़ा आंतरिक अंग माना जाता है, जो बिना रुके दिन-रात कई काम करता है। अगर इसे “शरीर की केमिकल फैक्ट्री” कहा जाए तो गलत नहीं होगा। यह न सिर्फ हमारे खाने को ऊर्जा में बदलता है बल्कि खून को साफ करने, रोगों से लड़ने और शरीर को स्वस्थ रखने में भी अहम भूमिका निभाता है।
आजकल लिवर से जुड़ी बीमारियों में सबसे आम नाम है फैटी लिवर। बहुत से लोग इसके बारे में सुनते हैं लेकिन सही जानकारी न होने की वजह से लापरवाह हो जाते हैं।
आइए विस्तार से समझते हैं कि लिवर क्या है, कैसे काम करता है, फैटी लिवर क्या होता है और इसके कितने प्रकार होते हैं।
लिवर क्या है?
पेट के दाहिनी ओर पसलियों के ठीक नीचे स्थित लिवर एक ठोस और स्पंजी अंग होता है। जिसका वजन लगभग 1.2 से 1.5 KG होता है। इसका रंग लाल-भूरा होता है जो शरीर में रक्त की कमी को करने वाले दो बड़े स्रोतों से जुड़ा होता है –
हेपेटिक आर्टरी (जिससे ऑक्सीजन युक्त रक्त आता है)
पोर्टल वेन (जिससे भोजन पचने के बाद पोषक तत्व आते हैं)
इस तरह लिवर सीधे-सीधे हमारे खाए हुए भोजन और खून से जुड़ा रहता है।
लिवर कैसे काम करता है?
लिवर के कार्य बहुत व्यापक और जीवन के लिए जरूरी हैं। इसे हम सरल शब्दों में इस तरह समझ सकते हैं:
भोजन को ऊर्जा में बदलना
हम जो खाना खाते हैं, उसमें से कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा लिवर तक पहुँचते हैं।
लिवर इन्हें प्रोसेस करके शरीर को तुरंत ऊर्जा देता है और कुछ ऊर्जा भविष्य के लिए जमा कर लेता है।
विषैले तत्व हटाना
शरीर में कई बार जहरीले तत्व (toxins) प्रवेश कर जाते हैं, जैसे- दवाइयों का अवशेष, शराब, रसायन इत्यादि।
लिवर इन्हें छानकर बाहर निकाल देता है ताकि वे खून में मिलकर नुकसान न करें।
पित्त (Bile) बनाना
लिवर एक हरे रंग का द्रव बनाता है जिसे पित्त कहते हैं।
पित्त वसा (Fat) को पचाने में मदद करता है। बिना पित्त के तैलीय खाना पचना मुश्किल हो जाएगा।
खून को शुद्ध करना
लिवर खून से खराब और अतिरिक्त पदार्थों को हटाकर उसे साफ करता है।
यह खून में शुगर की मात्रा को भी संतुलित रखता है।
विटामिन और खनिज जमा करना
लिवर शरीर में जरूरत पड़ने वाले विटामिन (A, D, E, K, B12) और मिनरल्स (आयरन, कॉपर आदि) जमा करके रखता है।
जब शरीर को इनकी जरूरत होती है तो लिवर इन्हें उपलब्ध कराता है।
प्रतिरक्षा में योगदान
लिवर में खास कोशिकाएँ होती हैं जो बैक्टीरिया और वायरस से लड़ती हैं।
इस तरह लिवर हमें बीमारियों से बचाने में भी अहम भूमिका निभाता है।
संक्षेप में, लिवर बिना रुके काम करने वाला ऐसा अंग है जिसके बिना इंसान का जीवित रहना असंभव है।
फैटी लिवर क्या है?
जब लिवर की कोशिकाओं में सामान्य से ज्यादा वसा (Fat) जमा हो जाती है तो इसे फैटी लिवर कहा जाता है।
सामान्यतः लिवर में थोड़ी मात्रा में वसा मौजूद रहती है, लेकिन जब यह मात्रा 5-10% से ज्यादा हो जाती है तो यह बीमारी का रूप ले लेती है।
फैटी लिवर होने के कारण:
अत्यधिक शराब का सेवन
अधिक तैलीय और फास्ट फूड खाना
मोटापा और अधिक वजन
मधुमेह (Diabetes)
शारीरिक गतिविधि की कमी
लंबे समय तक दवाइयाँ लेना
उच्च कोलेस्ट्रॉल
शुरुआत में फैटी लिवर के लक्षण स्पष्ट नहीं होते, इसलिए इसे Silent Disease भी कहा जाता है। लेकिन समय रहते ध्यान न देने पर यह गंभीर बीमारियों जैसे- लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर में भी बदल सकता है।
फैटी लिवर के प्रकार
फैटी लिवर को मुख्यतः दो प्रकारों में बाँटा जाता है:
1. Alcoholic Fatty Liver Disease (AFLD)
फैटी लिवर की स्थिति तब होती है जब लंबे समय तक ज्यादा मात्रा में शराब किया गया हो हो।
शराब लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाती है और उनमें वसा जमा होने लगती है।
अगर समय रहते शराब छोड़ दी जाए तो यह स्थिति शुरुआती स्तर पर ठीक हो सकती है।
2. Non-Alcoholic Fatty Liver Disease (NAFLD)
यह स्थिति उन लोगों में होती है जो शराब नहीं पीते लेकिन फिर भी उनके लिवर में वसा जमा हो जाती है।
इसका संबंध जीवनशैली और खान-पान से ज्यादा होता है।
यह आजकल बहुत आम हो गया है, खासकर मोटापा, डायबिटीज़ और फास्ट फूड खाने वालों में।
Non-Alcoholic Fatty Liver के आगे के चरण
NAFLD को आगे चार स्तरों में समझा जाता है:
Simple Fatty Liver (Steatosis)
इस अवस्था में केवल लिवर की कोशिकाओं में चर्बी जमा होती है।
यह शुरुआती और सामान्य अवस्था है और अगर समय पर खान-पान सुधारा जाए तो आसानी से ठीक हो सकती है।
Non-Alcoholic Steatohepatitis (NASH)
इस अवस्था में वसा के साथ-साथ सूजन (inflammation) भी होने लगती है।
अगर इसे नजरअंदाज किया जाए तो लिवर को स्थायी नुकसान होने लगता है।
Fibrosis
लगातार सूजन और नुकसान के कारण लिवर में ऊतक (tissues) सख्त होने लगते हैं।
लिवर अभी भी काम करता है लेकिन उसकी क्षमता कम हो जाती है।
Cirrhosis
यह सबसे खतरनाक अवस्था है।
इसमें लिवर की संरचना पूरी तरह बदल जाती है और यह सही ढंग से काम करना बंद कर देता है।
कई बार यह स्थिति लिवर कैंसर तक पहुँचा सकती है।
फैटी लिवर से बचाव और देखभाल
फैटी लिवर एक गंभीर समस्या है लेकिन सही जीवनशैली अपनाकर इसे रोका और नियंत्रित किया जा सकता है।
स्वस्थ आहार अपनाएँ: तैलीय, जंक फूड और मीठी चीजों से बचें।
व्यायाम करें: रोजाना 30 मिनट की वॉक या हल्की एक्सरसाइज करें।
वजन नियंत्रित रखें: मोटापा फैटी लिवर की सबसे बड़ी वजह है।
शराब से परहेज करें: यह सीधे लिवर को नुकसान पहुँचाती है।
नियमित जांच कराएँ: अगर डायबिटीज़ या कोलेस्ट्रॉल है तो समय-समय पर लिवर की जांच जरूर करवाएँ।
लिवर हमारे शरीर का ऐसा अंग है जो हमें हर दिन स्वस्थ रखने के लिए चुपचाप काम करता है। यह न सिर्फ भोजन को ऊर्जा में बदलता है बल्कि खून को साफ करता है, रोगों से बचाता है और शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों का भंडारण भी करता है।
लेकिन गलत जीवनशैली और खान-पान की वजह से फैटी लिवर जैसी बीमारी तेजी से बढ़ रही है। अगर इसे समय रहते समझा और रोका जाए तो यह आसानी से काबू में आ सकती है।
इसलिए ज़रूरी है कि हम अपने लिवर की देखभाल करें, क्योंकि एक स्वस्थ लिवर ही एक स्वस्थ जीवन की कुंजी है।
यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी तरह से चिकित्सकीय परामर्श (Medical Advice) का विकल्प नहीं है। यदि आपको फैटी लिवर या लिवर से संबंधित कोई भी लक्षण दिखाई दे, जैसे पेट में भारीपन, थकान, भूख कम लगना या पीलिया, तो तुरंत किसी योग्य डॉक्टर या विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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