मिजोरम के लोगों के लिए यह दिन ऐतिहासिक रहा जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य को पहली बार भारतीय रेल नेटवर्क से जोड़ने वाली बैराबी-सैरांग रेल लाइन का उद्घाटन किया। लगभग 8,070 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह परियोजना न केवल राज्य की राजधानी आइजोल को राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ती है, बल्कि मिजोरम की सामाजिक और आर्थिक तस्वीर बदलने का वादा भी करती है।
कठिन इलाकों में इंजीनियरिंग का चमत्कार
यह रेल लाइन 51.38 किलोमीटर लंबी है और दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों से होकर गुजरती है। इसका निर्माण कार्य आसान नहीं था। भारी वर्षा, भूस्खलन और कठिन भौगोलिक स्थितियों के बावजूद भारतीय इंजीनियरों और मजदूरों ने इसे संभव बनाया। इस लाइन में 48 सुरंगें हैं, जिनकी कुल लंबाई लगभग 13 किलोमीटर है। इसके अलावा 55 बड़े पुल, 87 छोटे पुल और कई सड़क ओवरब्रिज व अंडरब्रिज बनाए गए हैं।
सैरांग के पास बना ब्रिज नंबर 144 इतना ऊंचा है कि यह कुतुब मीनार से भी ज्यादा ऊंचा है। यह दर्शाता है कि इस परियोजना में कितनी तकनीकी दक्षता और परिश्रम लगाया गया है।
मिजोरम को मुख्यधारा से जोड़ने वाला मार्ग
इस नई रेल लाइन से मिजोरम की राजधानी आइजोल, असम के सिलचर के रास्ते राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जुड़ गई है। इससे न केवल लोगों की यात्रा का समय घटेगा, बल्कि माल ढुलाई भी तेज और सस्ती होगी। अनाज, उर्वरक और अन्य आवश्यक वस्तुएं अब मिजोरम तक आसानी से पहुंच सकेंगी।
इस मार्ग पर चार प्रमुख स्टेशन—होर्टोकी, काउनपुई, मुअलखांग और सैरांग—तैयार किए गए हैं, जो क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मजबूत करेंगे।
नई ट्रेनों की शुरुआत
उद्घाटन के साथ प्रधानमंत्री ने तीन नई लंबी दूरी की ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई। इनमें सैरांग-दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस, सैरांग-गुवाहाटी एक्सप्रेस और सैरांग-कोलकाता एक्सप्रेस शामिल हैं। खास बात यह है कि मिजोरम के इतिहास में पहली बार राजधानी एक्सप्रेस सेवा शुरू हुई है। यह ट्रेन सैरांग से दिल्ली तक सीधी सुविधा देगी। इन ट्रेनों से पर्यटन, व्यापार और रोजगार के अवसरों में तेजी आने की संभावना है।
प्रधानमंत्री का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने खराब मौसम के कारण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मिजोरम ने हमेशा देश के स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने मिजो समाज के साहस, सेवा और त्याग की सराहना की। पीएम मोदी ने कहा कि यह रेल लाइन सिर्फ एक संपर्क मार्ग नहीं है, बल्कि मिजोरम के लिए “बदलाव की जीवनरेखा” है।
उन्होंने बताया कि इससे किसानों को अपने उत्पाद पूरे देश के बाजारों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी और राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच भी आसान होगी।
पूर्वोत्तर पर सरकार का ध्यान
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में यह भी कहा कि पहले पूर्वोत्तर राज्यों की उपेक्षा की जाती थी क्योंकि उन्हें वोट और सीटों के लिहाज से कम महत्व दिया जाता था। लेकिन अब सरकार का फोकस उन क्षेत्रों तक पहुंचना है जो लंबे समय तक विकास से दूर रहे। यह परियोजना इस बदलाव का बड़ा प्रमाण है।
आर्थिक और सामाजिक असर
बैराबी-सैरांग रेल लाइन से मिजोरम देश का चौथा राज्य बन गया है जिसकी राजधानी अब रेल नेटवर्क से जुड़ी है। इससे किसानों, कारोबारियों और आम यात्रियों को बड़ा लाभ होगा। पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि अब पहाड़ी इलाकों तक पहुंच आसान हो जाएगी।
स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं में भी सुधार आएगा, क्योंकि संसाधन और विशेषज्ञ तेजी से पहुंच पाएंगे। स्थानीय स्तर पर भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, खासकर पर्यटन और परिवहन क्षेत्र में।
अन्य विकास परियोजनाएं
रेल लाइन के साथ प्रधानमंत्री ने 9,000 करोड़ रुपये से अधिक की अन्य परियोजनाओं का भी उद्घाटन और शिलान्यास किया। इसमें 45 किलोमीटर लंबी आइजोल बाईपास रोड शामिल है, जिसकी लागत लगभग 500 करोड़ रुपये है। यह सड़क आइजोल शहर की भीड़भाड़ कम करेगी और हवाई अड्डे व रेलवे स्टेशन को बेहतर ढंग से जोड़ेगी।
एक नए दौर की शुरुआत
1999 में जिस परियोजना की कल्पना की गई थी, वह 26 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद अब पूरी हुई है। यह केवल रेल लाइन नहीं है, बल्कि मिजोरम और पूरे पूर्वोत्तर के लिए विकास की नई शुरुआत है। प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में, यह मिजोरम की जीवनरेखा है, जो राज्य को राष्ट्रीय मुख्यधारा से और गहराई से जोड़ देगी।

