आज की आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने कई ऐसी तकनीकें विकसित की हैं जिनकी मदद से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीज सामान्य जीवन जी पा रहे हैं। उन्हीं में से एक है पेसमेकर। यह एक छोटा-सा यंत्र है जो दिल की धड़कनों को नियंत्रित करता है और हार्ट पेसिंग से जुड़ी समस्याओं में मरीज की जान बचाता है।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि पेसमेकर क्या है, यह कैसे काम करता है, कितने साल तक चलता है और इसके साथ कौन-कौन सी सावधानियाँ रखनी चाहिए।
पेसमेकर क्या है?
पेसमेकर एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जिसे दिल के पास छाती की त्वचा के नीचे लगाया जाता है। इसका काम है दिल की धड़कन को सही लय (Rhythm) में बनाए रखना।
दिल की धड़कन एक विशेष विद्युत संकेत (Electrical Impulse) से नियंत्रित होती है। लेकिन जब यह प्रणाली गड़बड़ा जाती है, तो दिल या तो बहुत धीमा (Bradycardia) या बहुत तेज़ (Tachycardia) धड़कने लगता है। कई बार दिल की धड़कन अनियमित भी हो जाती है, जिसे Arrhythmia कहा जाता है। ऐसे में पेसमेकर दिल को सही संकेत भेजकर धड़कनों को नियंत्रित करता है।
पेसमेकर कैसे काम करता है?
पेसमेकर में मुख्य रूप से दो हिस्से होते हैं:
- Pulse Generator (पल्स जनरेटर):
यह एक छोटा बॉक्स जैसा हिस्सा होता है, जिसमें बैटरी और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट लगे रहते हैं। यही दिल की धड़कन को नियंत्रित करने वाले विद्युत संकेत (Electrical Signals) बनाता है। - Leads (लीड्स या तार):
ये पतले तार होते हैं जिन्हें दिल की नसों (Veins) के माध्यम से हृदय तक पहुँचाया जाता है। इनके सिरे पर इलेक्ट्रोड लगे होते हैं जो दिल की मांसपेशियों को संकेत भेजते हैं।
कार्य प्रणाली:
- जब दिल की धड़कन धीमी या असामान्य होती है, तो पेसमेकर इसे पहचान लेता है।
- फिर यह एक हल्का विद्युत संकेत दिल की मांसपेशियों तक पहुँचाता है।
- यह संकेत दिल को धड़कने के लिए प्रेरित करता है और लय सामान्य हो जाती है।
- यदि दिल सामान्य रूप से धड़क रहा है, तो पेसमेकर निष्क्रिय रहता है।
इसे इस तरह समझ सकते हैं जैसे कोई “स्टैंडबाय जेनरेटर”, जो ज़रूरत पड़ने पर ही चालू होता है।
पेसमेकर कितने प्रकार के होते हैं?
डॉक्टर मरीज की समस्या और दिल की धड़कन की स्थिति देखकर अलग-अलग प्रकार के पेसमेकर लगाते हैं।
- सिंगल-चेंबर पेसमेकर – इसमें एक तार (लीड) होती है जो दाएँ एट्रियम या दाएँ वेंट्रिकल में लगाई जाती है।
- डुअल-चेंबर पेसमेकर – इसमें दो लीड्स होती हैं, जो दाएँ एट्रियम और दाएँ वेंट्रिकल दोनों में लगती हैं। यह धड़कन को अधिक प्राकृतिक तरीके से नियंत्रित करता है।
- बाइवेंट्रिकुलर पेसमेकर (CRT Device) – यह दोनों वेंट्रिकल्स को नियंत्रित करता है और खासतौर पर हार्ट फेल्योर के मरीजों में लगाया जाता है।
पेसमेकर कितने सालों तक चलता है?
पेसमेकर की उम्र मुख्य रूप से उसकी बैटरी पर निर्भर करती है। आमतौर पर इसकी बैटरी 5 से 15 साल तक चलती है।
- सिंगल-चेंबर पेसमेकर – लगभग 7–10 साल
- डुअल-चेंबर पेसमेकर – लगभग 6–10 साल
- बाइवेंट्रिकुलर पेसमेकर – लगभग 5–7 साल
जब बैटरी कमजोर होने लगती है तो डॉक्टर इसकी जाँच करके समय रहते उसे बदल देते हैं। अच्छी बात यह है कि पेसमेकर बदलना मुश्किल सर्जरी नहीं है। ज़्यादातर मामलों में केवल जनरेटर बदला जाता है, लीड्स वही रहती हैं।
पेसमेकर कब लगाया जाता है?
डॉक्टर पेसमेकर की सलाह तब देते हैं जब:
- दिल बहुत धीमी धड़कन (Bradycardia) के कारण चक्कर, थकान या बेहोशी का कारण बने।
- धड़कन असामान्य हो और दवाओं से ठीक न हो रही हो।
- दिल की पंपिंग क्षमता कमजोर हो और हार्ट फेल्योर का खतरा हो।
- मरीज को बार-बार बेहोशी आ रही हो।
पेसमेकर लगाने की प्रक्रिया
- मरीज को हल्की एनेस्थीसिया (निश्चेतना) दी जाती है।
- डॉक्टर छाती पर एक छोटा-सा चीरा लगाते हैं।
- लीड्स को नस के जरिए दिल में पहुँचाया जाता है और जनरेटर को त्वचा के नीचे रखा जाता है।
- पूरी प्रक्रिया 1 से 2 घंटे में पूरी हो जाती है और अधिकतर मरीज 1–2 दिन में घर जा सकते हैं।
पेसमेकर के साथ सावधानियाँ
पेसमेकर लगने के बाद मरीज को कुछ खास बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है ताकि यह सही ढंग से काम करता रहे।
- नियमित चेकअप – हर 6–12 महीने में डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी है ताकि पेसमेकर की बैटरी और सेटिंग की जाँच हो सके।
- इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से दूरी –
- मोबाइल फोन को पेसमेकर के विपरीत तरफ रखें।
- हाई वोल्टेज वाले उपकरणों और चुंबकीय क्षेत्रों (MRI, भारी मोटर, इंडक्शन कुकर आदि) से सावधानी रखें।
- सर्जरी और स्कैन –
- MRI स्कैन कराने से पहले डॉक्टर को बताना ज़रूरी है। कुछ नए पेसमेकर MRI-सुरक्षित होते हैं।
- व्यायाम –
- सामान्य वॉकिंग और हल्का व्यायाम किया जा सकता है, लेकिन छाती पर ज़ोरदार चोट वाले खेल (जैसे कुश्ती, फुटबॉल) से बचना चाहिए।
- यात्रा –
- हवाई यात्रा सुरक्षित है, लेकिन एयरपोर्ट सिक्योरिटी गेट से गुजरते समय पेसमेकर कार्ड दिखाना चाहिए।
- दवाइयाँ –
- कोई भी नई दवा लेने से पहले डॉक्टर से पूछना ज़रूरी है।
पेसमेकर के फायदे
- अचानक दिल रुकने से बचाता है।
- चक्कर, थकान और बेहोशी जैसी समस्याओं को कम करता है।
- मरीज सामान्य जीवन जी सकता है।
- हार्ट फेल्योर में जीवन की गुणवत्ता सुधारता है।
पेसमेकर आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की एक अद्भुत खोज है, जिसने लाखों लोगों को नया जीवन दिया है। यह न सिर्फ दिल की धड़कन को नियंत्रित करता है बल्कि मरीज को स्वस्थ और सामान्य जीवन जीने में मदद करता है।
सही समय पर पेसमेकर लगवाना और इसके साथ जुड़ी सावधानियाँ अपनाना बेहद ज़रूरी है। नियमित चेकअप, स्वस्थ जीवनशैली और डॉक्टर की सलाह का पालन करके मरीज लंबे समय तक सुरक्षित रह सकता है।
यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। यदि आपको या आपके परिवार में किसी को दिल की धड़कन से जुड़ी समस्या है, तो तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करें।