आज़ादी के सात दशकों बाद भी भारत में अनेकों परिवार थे जिनके पास बैंक खाता नहीं था। नकद में पैसे कहीं छिपाकर रखते थे, अक्सर महंगे उधार लेने पड़ते थे और सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पाता था। इन्हीं समस्याओं को दूर करने के लिए 28 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “प्रधानमंत्री जनधन योजना” (PMJDY) की शुरुआत की। इस योजना का उद्देश्य था“हर भारतीय परिवार के पास बैंक खाता होना चाहिए।”
आज, 2024–25 में इस योजना को पूरे 11 साल हो चुके हैं। इन दस वर्षों में इसने करोड़ों लोगों की ज़िंदगी बदल दी।
योजना क्या है?
प्रधानमंत्री जनधन योजना एक राष्ट्रीय वित्तीय समावेशन अभियान है। इसके अंतर्गत हर गरीब, मजदूर, किसान, महिला और छात्र तक बैंकिंग सेवाएँ पहुँचाई गईं। इस योजना के तहत खुलने वाले खाते को “जनधन खाता” कहा जाता है।
इस खाते की कुछ प्रमुख विशेषताएँ हैं:
शून्य बैलेंस खाता – इसमें न्यूनतम राशि रखना अनिवार्य नहीं है।
रुपे डेबिट कार्ड – खाता खोलते ही मुफ्त में कार्ड मिलता है।
दुर्घटना बीमा कवर – कार्ड से लेन-देन करने पर 2 लाख तक बीमा मिलता है।
जीवन बीमा कवर – कुछ शर्तों के साथ ₹30,000 तक की बीमा सुविधा।
सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ – सब्सिडी, पेंशन, छात्रवृत्ति जैसी रकम सीधे खाते में आती है।
ओवरड्राफ्ट सुविधा – 6 माह तक खाता सक्रिय रहने पर ₹10,000 तक का लोन मिल सकता है।
11 साल में कितने खाते खुले?
2014 में जब यह योजना शुरू हुई थी तब पहले ही दिन रिकॉर्ड 1.5 करोड़ खाते खुले। धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ती चली गई।
2015 तक – लगभग 15 करोड़ खाते
2017 तक – 28 करोड़ खाते
2020 तक – 40 करोड़ खाते
2025 तक – यह संख्या बढ़कर 56 करोड़ से अधिक खाते हो चुकी है।
यह किसी भी देश में बैंक खातों को जोड़ने का दुनिया का सबसे बड़ा अभियान है।
इन खातों में कितनी राशि जमा हुई?
शुरुआत में जब खाते खुले तो लोग सिर्फ खाता रखकर खुश थे। लेकिन जैसे-जैसे लोगों का भरोसा बढ़ा, वैसे-वैसे उन्होंने बचत करना शुरू किया।
आज इन खातों में जमा राशि लगभग 2.68 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। यह इस बात का प्रमाण है कि गरीब और मध्यम वर्ग भी धीरे-धीरे बैंकिंग की आदत डाल रहे हैं और भविष्य के लिए बचत कर रहे हैं।
महिलाओं और ग्रामीण इलाकों की भागीदारी
इस योजना का सबसे बड़ा फायदा महिलाओं और ग्रामीण क्षेत्रों को मिला है।
लगभग 67% खाते गांव और छोटे कस्बों में खुले।
कुल खाताधारकों में से 56% खाते महिलाओं के नाम पर हैं।
इससे साफ पता चलता है कि यह योजना महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभा रही है।
डिजिटल लेन-देन और रुपे कार्ड का योगदान
जनधन योजना के अंतर्गत अब तक 38 करोड़ से अधिक रुपे डेबिट कार्ड जारी किए जा चुके हैं। इन कार्डों के जरिए लोग:
एटीएम से पैसे निकाल सकते हैं।
दुकानों पर डिजिटल भुगतान कर सकते हैं।
ऑनलाइन लेन-देन कर सकते हैं।
इससे नकदी पर निर्भरता कम हुई और डिजिटल इंडिया का सपना साकार हुआ।
सीधे लाभ अंतरण (DBT) की ताकत
पहले सरकारी योजनाओं का पैसा बीच के बिचौलियों तक ही रह जाता था। लेकिन जनधन योजना की वजह से अब सरकार का हर लाभ सीधे लाभार्थी के खाते में पहुंच रहा है।
उदाहरण के तौर पर:
गैस सब्सिडी
किसान सम्मान निधि
पेंशन
विधवाओं और विकलांगों की सहायता राशि
इन सबका पैसा अब बिना किसी रुकावट सीधे खाते में आ जाता है।
JAM ट्रिनिटी (जनधन + आधार + मोबाइल)
जनधन योजना को आधार और मोबाइल से जोड़कर सरकार ने एक मजबूत तंत्र बनाया, जिसे JAM ट्रिनिटी कहा जाता है।
जनधन खाते से बैंक की सुविधा मिली।
आधार से पहचान सुनिश्चित हुई।
मोबाइल से लोगों तक संदेश और OTP पहुंचा।
इस त्रिकोण ने गरीबों की ज़िंदगी बदलकर रख दी।
समाज पर प्रभाव
प्रधानमंत्री जनधन योजना ने भारत में सिर्फ बैंक खाते ही नहीं खोले, बल्कि सामाजिक बदलाव भी लाया है।
गरीब और वंचित वर्ग को आर्थिक गरिमा मिली।
महिलाएं अब स्वतंत्र रूप से लेन-देन कर रही हैं।
ग्रामीण लोग भी अब बैंक में बचत करना सीख गए हैं।
छोटी बचतें मिलकर बड़े निवेश का आधार बन रही हैं।
चुनौतियाँ भी आईं
हर योजना की तरह इसमें भी चुनौतियाँ आईं।
कई खाते निष्क्रिय हो गए क्योंकि लोग नियमित लेन-देन नहीं कर रहे थे।
कुछ लोग खाते सिर्फ कागज पर रखे थे लेकिन इस्तेमाल नहीं किया।
जागरूकता की कमी और डिजिटल शिक्षा की कमी भी एक बड़ी बाधा रही।
फिर भी, सरकार लगातार इन कमियों को दूर करने में लगी हुई है।
आने वाले समय की संभावनाएँ
जनधन योजना ने भारत को वित्तीय समावेशन में दुनिया का अग्रणी देश बना दिया है। आने वाले वर्षों में इसके जरिए:
हर घर तक बीमा और पेंशन पहुँचाई जाएगी।
डिजिटल भुगतान को और तेज़ी से बढ़ावा मिलेगा।
ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाएँ और मज़बूत होंगी।
छोटे व्यवसायियों और किसानों को सस्ती दरों पर ऋण मिलेगा।
प्रधानमंत्री जनधन योजना आज सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि भारत के आर्थिक इतिहास की एक क्रांति है।
11 सालों में इसने:
56 करोड़ से अधिक खाते खोले,
2.68 लाख करोड़ रुपये की बचत जुटाई,
67% ग्रामीण और 56% महिलाओं को शामिल किया,
और डिजिटल इंडिया के सपने को साकार किया।
यह योजना करोड़ों गरीबों के लिए आशा की किरण बनी और भारत को “बिना नकदी वाली अर्थव्यवस्था” की ओर आगे बढ़ाया। आने वाले वर्षों में इसका प्रभाव और गहरा होगा।
प्रधानमंत्री जनधन योजना भारत के लिए केवल एक वित्तीय योजना नहीं है, बल्कि यह “गरीब से अमीर तक सबके लिए बैंकिंग” का प्रतीक है। यह योजना भारत को आत्मनिर्भर, सशक्त और समावेशी अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में मील का पत्थर है।