भारत में योग की परंपरा हजारों साल पुरानी है। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह जीवन को संतुलित और स्वस्थ बनाने का विज्ञान है। योग के अनेक आसनों में से सूर्य नमस्कार को सबसे प्रभावी और लोकप्रिय माना जाता है। इसका कारण यह है कि इसमें शरीर की लगभग हर मांसपेशी सक्रिय होती है और मानसिक शांति भी मिलती है।
सूर्य नमस्कार क्या है?
सूर्य नमस्कार एक विशेष योग क्रम है जिसमें 12 अलग-अलग मुद्राएँ लगातार की जाती हैं। यह क्रम ऐसा है जिसमें शरीर कभी आगे झुकता है, कभी पीछे खिंचता है, कभी सीधा होता है और कभी स्थिर। इन सभी गतिविधियों का असर पूरे शरीर पर पड़ता है।
“सूर्य” का अर्थ है ऊर्जा का स्रोत और “नमस्कार” का अर्थ है आदर या प्रणाम। यानी सूर्य नमस्कार केवल व्यायाम नहीं, बल्कि ऊर्जा के प्रतीक सूर्य के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का तरीका भी है।
सूर्य नमस्कार का इतिहास और महत्व
भारतीय संस्कृति में सूर्य को जीवनदाता माना गया है। प्राचीन ऋषि-मुनि मानते थे कि सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा ही धरती पर जीवन का आधार है। इसी भाव से उन्होंने सूर्य नमस्कार की परंपरा बनाई, ताकि मनुष्य रोज़ाना शारीरिक और मानसिक रूप से सूर्य की ऊर्जा से जुड़ सके।
आज भी जब लोग सुबह उगते सूर्य को प्रणाम करते हैं, तो वे केवल पूजा नहीं करते, बल्कि अपने शरीर को सक्रिय और स्वस्थ बनाने की दिशा में कदम बढ़ाते हैं।
सूर्य नमस्कार की 12 मुद्राएँ
सूर्य नमस्कार में कुल 12 आसन होते हैं। हर आसन का अपना महत्व है।
प्रणामासन – सीधा खड़े होकर हाथ जोड़ना, मन को स्थिर करने के लिए।
हस्तोत्तानासन – हाथ ऊपर उठाकर पीछे झुकना, शरीर को खींचने के लिए।
हस्तपादासन – आगे झुककर पैरों को छूना, कमर और पेट को सक्रिय करने के लिए।
अश्वसंचलनासन – एक पैर पीछे करके झुकना, लचीलापन बढ़ाने के लिए।
दंडासन – शरीर को सीधा रखना, ताकत और सहनशक्ति के लिए।
अष्टांग नमस्कार – शरीर के आठ हिस्सों से भूमि को छूना, आत्मसंयम के लिए।
भुजंगासन – सर्प की तरह उठना, रीढ़ और फेफड़ों के लिए लाभकारी।
पर्वतासन – पर्वत जैसी मुद्रा, रक्त संचार सुधारने के लिए।
अश्वसंचलनासन – पहले वाली मुद्रा को दोहराना।
हस्तपादासन – फिर से झुकना।
हस्तोत्तानासन – शरीर को ऊपर उठाना।
प्रणामासन – प्रारंभिक स्थिति में आना।
इन बारह मुद्राओं को एक चक्र कहा जाता है। शुरुआत में 3 से 5 चक्र करना पर्याप्त है, धीरे-धीरे इसे 10 या अधिक तक बढ़ाया जा सकता है।
सूर्य नमस्कार के लाभ
1. शारीरिक लाभ
शरीर की हर मांसपेशी सक्रिय होती है।
हड्डियाँ और जोड़ों की जकड़न दूर होती है।
पाचन क्रिया सुधरती है।
मोटापा कम करने में मदद मिलती है।
2. मानसिक लाभ
तनाव और चिंता घटती है।
एकाग्रता और स्मरणशक्ति बढ़ती है।
मन शांत और प्रसन्न होता है।
3. स्वास्थ्य संबंधी लाभ
रक्त संचार संतुलित रहता है।
हृदय और फेफड़े मजबूत बनते हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है।
त्वचा और चेहरे पर निखार आता है।
4. महिलाओं के लिए लाभ
मासिक धर्म की गड़बड़ी कम होती है।
प्रसव से पहले शरीर को मजबूत बनाता है।
हार्मोन संतुलन बनाए रखता है।
सूर्य नमस्कार कब करना चाहिए?
सुबह का समय सबसे अच्छा है, विशेषकर सूर्योदय के समय।
इसे खाली पेट करना चाहिए।
शांत और खुली जगह का चुनाव करना अधिक फायदेमंद है।
शाम को भी किया जा सकता है, लेकिन सुबह का असर गहरा होता है।
सावधानियाँ
हृदय रोगी या गंभीर बीमारी वाले लोग डॉक्टर से सलाह लें।
गर्भवती महिलाएँ इसे केवल प्रशिक्षक की देखरेख में करें।
शुरुआत में अधिक चक्र न करें, धीरे-धीरे बढ़ाएँ।
श्वास और क्रियाओं का सही तालमेल रखें।
सूर्य नमस्कार योग का एक ऐसा अभ्यास है जो शरीर, मन और आत्मा – तीनों को संतुलित करता है। यह केवल व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन को ऊर्जावान बनाने का माध्यम है।
नियमित अभ्यास से व्यक्ति स्वस्थ, प्रसन्न और आत्मविश्वासी बनता है। आज की व्यस्त जीवनशैली में जहाँ लोग तनाव और बीमारियों से घिरे रहते हैं, सूर्य नमस्कार सबसे सरल और प्रभावी उपाय है।
अगर आप चाहते हैं कि दिन की शुरुआत ऊर्जा और ताजगी से हो, तो सूर्य नमस्कार को रोज़ाना की आदत बना लीजिए।
READ ALL SO THIS चंद्रयान‑5 मिशन: भारत और जापान का नया अंतरिक्ष अध्याय